2017 में शामिल दीपांकर दास बाउल-लल्लन फकीर के नक्शे कदम पर चलने वाले, नवद्वीप नीमतला, दक्षिण बाड़ा, चुचड़ा, पश्चिम बंगाल के चर्चित बाउल गायक दीपांकर दास बाउल, अपने दिवंगत पिता दिलीप दास बाउल के पद चिह्नों पर चल रहे हैं । इन्हें ‘ग्राम बांग्ला जातीय पुरस्कार’ प्राप्त हुआ है।
Month: January 2023
चंदनलाल कालबेलिया लोकनृत्य समूह, जयपुर
2017 एवं 2018 में शामिल चंदनलाल कालबेलिया लोकनृत्य समूह, जयपुर, राजस्थान-राजस्थान की इस मशहूर टीम ने देश के अलावा दक्षिण अफ्रीका, कोरिया, मलेशिया सहित लगभग तीन दर्जन से अधिक, देशों में कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं।
बिरजिया आदिवासी समुदाय, लातेहार, झारखण्ड
बिरजिया (आदिम) आदिवासी समुदाय, लातेहार, झारखंड-मात्र 6,000 से 7,000 की आबादी वाला बिरजिया समुदाय, आदिम आदिवासी समूहों में से एक है और हमारी जनविरोधी नीतियों के कारण अपनी संस्कृति और स्मिता की हिफाजत में संघर्षरत है। 2017 में ए.के. पंकज के नेतृत्व में यह समुदाय बिरजिया, करम, सरगुल और महादेव नृत्य प्रस्तुत किया ।
विश्वा, पटना
विश्वा, पटना (Vishwa PATNA) युवा रंगकर्मियों, लेखकों, संगीतकारों और चित्रकारों का एक समूह है । यह संस्था पहली रात फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘तीसरी कसम’ का नाट्य रूपांतरण प्रस्तुत किया । नाट्य रूपांतरण किया था प्रसिद्ध साहित्यकार पुंज प्रकाश ने और निर्देशन राजेश राजा का था । इसी संस्था द्वारा दूसरी रात परदेशी राम वर्मा…
श्रीकलापीठ-सरायकेला
श्रीकलापीठ-सरायकेला, झारखंड के पूर्व राज घराने की वर्तमान पीढ़ी द्वारा 1941 में गठित इस संस्था द्वारा छऊ नृत्य को संरक्षित किया जा रहा है। लोकरंग में इस संस्था की टीम द्वारा 17-18 कलाकारों द्वारा छऊ नृत्य प्रस्तुत किया गया ।
बाउल गायन टीम , पश्चिम बंगाल
बाउल गान- बंगाल के ‘बाउल’ गायन की संस्कृति एवं परंपरा बहुत पुरानी है। इसकी शुरुआत नदी की धारा और समुन्दर के सफर से होती है। कहा जाता है कि बाउल, पूर्वी बंगाल से पश्चिम बंगाल आने-जानेे वाले जहाजों पर सवार मुसाफिरों को अपने गायन से भक्ति-भाव में डुबो देते थे। बाउल गायकी में एक ओर…
झारखंडी भाषा साहित्य , संस्कृति अखाड़ा, रांची
झारखंडी भाषा साहित्य,संस्कृति अखड़ा की खडि़या नृत्य दल, ढिड़ैली (छपर टोली), गुमला (झारखंड), ने लोकरंग २०१५ में खडि़या पारंपरिक बंदई नृत्य और खडि़या पारंपरिक करम नृत्य प्रस्तुत किया और टीम का नेतृत्व-वंदना टेटे ने किया . खडि़या पारंपरिक बंदई नृत्य-‘बंदई’ खडि़या आदिवासी समुदाय का कार्तिक महीने में मनाया जाने वाला त्यौहार है. यह खेती-किसानी से…
रंग नायक (बेगूसराय)
रंगनायक, बेगूसराय-लोकरंग 2014 में इस संस्था द्वारा प्रस्तुत नाटक, चरणदास चोर के लेखक सुप्रसिद्ध नाटककार हबीब तनवीर हैं । पूंजीवादी व्यवस्था और भ्रष्ट तंत्र की पोल खोलता नाटक, एक ऐसे चोर की कहानी है जो अपनी सच्चाई को बचाने के लिए जान से हाथ धो बैठता है । नाटक छत्तीसगढ़ी लोक शैली में लिखा गया…
कला जागरण (पटना)
कला जागरण, पटना द्वारा लोकरंग २०१४ में सुप्रसिद्ध साहित्यकार हृषिकेश सुलभ लिखित लोक नाटक, अमली प्रस्तुत किया गया । इस नाटक में समंती शोषण और अत्याचार में पीसती स्त्री ‘अमली’ की गाथा है जो बाहुबलियों की दरिंदगी का शिकार हो, विस्थापन का दर्द भोगती है। इस नाटक के निर्देशक सुमन कुमार थे । मुख्य पात्र-अर्चना…
प्रेरणा (पटना)
प्रेरणा, लोकरंग २०१३, जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा, पटना के संस्थापक हसन इमाम, वर्तमान में इस संस्था के सचिव हैं । इस संस्था का गठन 1986 में किया गया था । संस्था की मुख्य पहचान नुक्कड़ नाटकों द्वारा सामाजिक चेतना विकसित करने में रही है ।