लोकरंग 2022, 14-15 अप्रैल
पन्द्रहवाँ वर्ष
डाॅ भीमराव अम्बेडकर जयन्ती एवं स्मृतिशेष जद्दू भगत की याद में,
सांस्कृतिक भड़ैंती, फूहड़पन के विरुद्ध, जनसंस्कृति के संवर्द्धन के लिए
पहली रात, बृहस्पतिवारः 14 अप्रैल
रात्रि 8.30 से 8.55 ‘लोकरंग-4’ पुस्तक का लोकार्पण/कार्यक्रम का अनौपचारिक उद्घाटन।
रात्रि 9.00 से 9.15 झूमर गीत, शिक्षा मद्धेशिया, वैभवी मद्धेशिया, जन्नत खातुन, संजना गुप्ता, रागिनी यादव, वीणा चैधरी, स्नेहा चैरसिया, आकृति वर्मा, माॅडर्न हेरिटेज पब्लिक स्कूल, तुर्कपट्टी, कुशीनगर की बालिकाओं की प्रस्तुति।
रात्रि 9.20 से 9.50 ‘संकल्प’ संस्था, बलिया द्वारा परंपरागत भोजपुरी लोकगीतों/जनगीतों की प्रस्तुतियाँ। निर्देशक-आशीष त्रिवेदी।
रात्रि 9.55 से 10.15 बाँसुरी वादन। कलाकार-राजन गोविन्द राव, फरना, रामकोला, कुशीनगर।
रात्रि 10.20 से 11.00 ‘ताल’ नृत्य संस्थान, भागलपुर, बिहार द्वारा झिझिया, गोदना और जट-जटिन लोकनृत्य/बिदेशिया और डोमकच नृत्य नाटिका की प्रस्तुतियाँ।
रात्रि 11.05 से 11.25 आम्रपाली लावणी डांस ग्रुप, नागपुर, महाराष्ट्र द्वारा लावणी नृत्य की प्रस्तुति।
रात्रि 11.30 से प्रातः 12.10 राजस्थानी लोकगीत एवं नृत्य की प्रस्तुतियाँ। भुंगरखान मंगणियार एवं साथी कलाकार, बाड़मेर, राजस्थान।
रात्रि 12.15 से प्रातः 1.15 नाटक- बोधू सिंह अहीर, निर्माता/निर्देशक अभिषेक पंडित, कलाकार-शशिकांत, ममता पंडित, हरिकेश मौर्य, डाॅ. अलका सिंह, रितेश, अंगद, संदीप, आदित्य अभिषेक, अखलेश, सूरज कुमार, आदि। सूत्रधार, आजमगढ़। नाटक के बारे में-1857 के विद्रोह में अंग्रेजों के खिलाफ लड़े, 17वीं बटालियन, आजमगढ़ के सूबेदार, बोधू सिंह अहीर का नाम न केवल गुमनाम रहा, अपतिु उन्हें भोंदू कह कर अपमानित भी किया जाता रहा। यह नाटक ऐसे गुमनाम अमर योद्धा पर केन्द्रित है।
दूसरा दिन, शुक्रवारः 15 अप्रैल
पूर्वाह्न 11 से अपराह्न 2 बजे विचार गोष्ठी विषय- ‘लोक संस्कृति का जन-जागरुकता से रिश्ता’। सहभागिता-प्रो. चैथीराम (पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष, बी.एच.यू. बनारस), प्रो. रामपुनियानी ( लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता, मुम्बई), तैयब हुसैन (लोकसंस्कृति मर्मज्ञ, पटना), प्रो. दिनेश कुशवाह (वरिष्ठ कवि, रीवा), वीरेन्द्र यादव (वरिष्ठ आलोचक, लखनऊ), बी. आर. विप्लवी (वरिष्ठ कवि, लखनऊ), प्रो. सूरज बहादुर थापा (हिन्दी विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय), सृंजय (वरिष्ठ कहानीकार), डाॅे. रतनलाल (इतिहास विभाग, हिन्दू काॅलेज, दिल्ली), प्रो. संजय कुमार (बी.एच.यू., बनारस), डाॅ. रामप्रकाश कुशवाहा (कवि/आलोचक, बनारस), डाॅ. महेन्द्र प्रसाद कुशवाहा (आलोचक, बी.एच.यू., बनारस), रामजी यादव (संपादक/कहानीकार, बनारस), अपर्णा (सामाजिक कार्यकर्ता, बनारस), बृजेश (लोक संस्कृति विशेषज्ञ, जौनपुर), विद्याभूषण रावत (लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता, नोयडा), मनोज कुमार सिंह (वरिष्ठ पत्रकार, गोरखपुर) एवं अन्य साहित्यकार/रंगकर्मी।
दूसरी रात, शुक्रवारः 15 अप्रैल
रात्रि 8.30 से 9.00 नाद, पटना द्वारा भोजपुरी लोकगीतों की प्रस्तुतियाँ।
रात्रि 9.05 से 9.25 ‘दुई मुट्ठी मजूरी’ जैसी ऐतिहासिक गिरमिटिया कृति के रचनाकार, नीदरलैंड के सरनामी भोजपुरी गायक-राजमोहन की प्रस्तुतियाँ।
रात्रि 9.30 से 10.40 इप्टा, आजमगढ़ द्वारा जाँघिया और पँवरिया लोकनृत्य की प्रस्तुतियाँ।
रात्रि 10.45 से 11.05 आम्रपाली लावणी डाँस ग्रुप, नागपुर, महाराष्ट्र द्वारा गोंधळ और कोली लोकनृत्य की प्रस्तुतियाँ।
रात्रि 11.10 से 11.55 राजस्थानी लोकगीत एवं नृत्य की प्रस्तुति। भुंगरखान मंगणियार एवं साथी कलाकार, बाड़मेर, राजस्थान।
रात्रि 12.00 से प्रातः 1.00 नाटक-मृदंगिया, संस्था-नाद, पटना। लेखक-अखिलेश कुमार जायसवाल, निर्देशन/संगीत परिकल्पना-मो0 जाॅनी, साज-सज्जा- जितेंद्र कुमार जीतू, प्रकाश परिकल्पना-विनय चैहान। पात्र (मंच)-राहुल कुमार, रवि कश्यप, सुधांशु आनंद, अंजलि शर्मा, सौरभ सफारी, उज्जवल गुप्ता, नंदकिशोर नंदू, कृष्णा, पीयूष देव, बबलू। मंच से परे-उर्मिला, नंदिनी, सृष्टि, तूलिका, रजनीश। संगीत-समीर, मो0 आसिफ और मो0 इमरान।
प्रातः 1.05 से प्रातः 1.10 धन्यवाद ज्ञापन/ग्रुप फोटोग्राफी/समापन ।