लोक कवि, बिरहा गायक बिसराम की याद में (12-13 मई 2012)
नाट्य समारोह/लोकनृत्य/लोकगायकी/वैचारिक गोष्ठी एवं कविता पोस्टर प्रदर्शनी
क्षेत्रीय लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां-जंतसार, सोहर, निर्गुन और भोजपुरी लोकगीत ।
पंवरिया और फरुवाही नृत्य, बाकुम के कवित्त, सारंगी वादन और जोगी गायकी ।
‘संकल्प‘ साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था, बलिया की नाट्य/गीतों की प्रस्तुतियां ।
हिरावल, पटना की नाट्य/जनगीतों की प्रस्तुतियां ।
डिवाइन सोशल डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन, पटना की नाट्य प्रस्तुति ।
दिन का कार्यक्रम (13 मई को प्रातः 11 बजे से)
गोष्ठी-‘वैश्वीकरण में लोक संस्कृति का उजड़ना
आमंत्रित नाट्य संस्थाएं- दो लघु/दो मुख्य नाटकों की प्रस्तुतियां
‘संकल्प‘ साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था, बलिया
1-लघुनाटक- ‘मैं नरक से बोल रहा हूं’
अवधि- 30 मिनट ।
हरिशंकर परसाईं की व्यंग्य रचना पर आधारित ।
पात्र- आशीष द्विवेदी, समीर खान, ओमप्रकाश प्रसाद, आनंद चैहान, शैलेन्द्र शर्मा, अतुल राय, अजीत, रेनू सिंह, बबली चैबे
डिवाइन सोशल डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन, पटना
डा शैलेन्द्र द्वारा स्थापित यह संस्था 10 वर्षों से रंगमंच के क्षेत्र में सक्रिय है । संस्था ने ‘निर्माण कला मंच’ पटना से बहुत कुछ सीखा है । इसने सामाजिक विषयों पर तमाम नुक्कड़ नाटकों का मंचन कर अपनी अलग पहचान बनाई है । संस्था ने स्वयंसेवी संस्था के रूप में कार्य करते हुए तमाम ग्रामीण कलाकारों को मंच प्रदान किया है ।
2-नाटकः मेहरारू की दुर्दशा
अवधि- 50 मिनट ।
कथासार-यह नाटक नारी की दोयम दर्जे की पहचान यथा बेटे और बेटी में अंतर, इंसान की तरह जीने के लिये पुरूष समान अधिकार का न मिलना, प्रगति में योगदान न देने देना, परंपराओं की चक्की में बांधे रहना, स्त्री को वस्तु समझना और एक मालिक से दूसरे के हाथ में चुपचाप जाने की बाध्यता का प्रतिकार करता है ।
निर्देशक के बारे में- हिरावल से जुड़़े प्रसिद्व रंगकर्मी सुमन कुमार ने इस नाटक का निर्देशन किया है । सुमन कुमार ने अब तक तमाम नाटकों यथा- हजार चैरासी की मां, महाभोज, काल कोठरी, बिदेसिया, हरसिंगार, दुनिया रोज बदलती है, मोहन दास, कौन ठगवा नगरिया लूटल हो जैसे बीसियों नाटकों में सफल अभिनय किया है । वह कई राष्ट्रीय नाट्य महोत्सवों में शिरकत कर चुके हैं । लोकरंग, सुमन के अभिनय से हमेशा गौरवान्वित होता रहा है । सुमन, फिल्म प्रोडक्शन हाउस ‘नेक्स्ट स्टोरी’ में सह निर्देशक के रूप 5 वर्षों से काम कर रहे हैं ।
पात्र परिचय
मंच परः- लछिमी-शिल्पी भारती, जसोदरा-सारिका भारती, सीता-रागिनी कुमारी, रामकली-गौतमी, सूखा-जुली वारसी, उधो परसाद-रवि कुमार, रामखेलावन लाल-मो0 जहांगीर, फरगुद्दी उपधिया-तरूण कुमार, कोरस- रेणु देवी, रूबी खातून ।
मंच परे- हारमोनियम/ संगीत निर्देशन-मो0 जानी, नाल-संतोष कुमार सिंह, साइड इफेक्ट-अरविन्द कुमार, प्रकाश-मनीष जोशी बिस्मिल, मंच परिकल्पना/रूप सज्जा- प्रबोध विश्वकर्मा, वस्त्र विन्यास-जुली वारसी, रूबी खातून, प्रस्तुति नियंत्रण-राहुल कुमार, सहायक निर्देशन-मो0जहांगीर, परिकल्पना एवं निर्देशन- सुमन कुमार ।
हिरावल, पटना
हिरावल (जसम की नाट्य एवं गीत ईकाई )- हिरावल, पटना का गठन वर्ष 1981 में जनप्रतिरोध की संस्कृति के संरक्षण, संवर्द्धन के लिए किया गया था । संस्था ने अपनी अब तक की तमाम प्रस्तुतियों के आधार पर प्रगतिशील संस्कृति को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
हिरावल ने अपने रंग सफ़र की शुरुआत नुक्कड़ नाटक और जनगीतों की प्रस्तुतियों से की । आगे चलकर इसने मंच नाटकों की ओर भी क़दम बढ़ाया। मुख्य रूप से पटना में सक्रिय यह नाट्य दल बिहार-झारखंड के गांव-कस्बों से लेकर देश के विभिन्न प्रांतों में अपने नाटकों का प्रदर्शन कर चुका है। लोकरंग कार्यक्रम के प्रति इस संस्था ने हमेशा उदार सहयोग दिया है ।
हिरावल की प्रस्तुतियां: नाटक और जनगीत
3-लघु नाटक- कामधेनु ।
निर्देशन- संतोष झा
पहली रात
12 मई, 2012
रात्रि 9.15 लोकरंग 2012 स्मारिका का लोकार्पण /कार्यक्रम का अनौपचारिक उद्घाटन
रात्रि 9.30 से 9.45,जंतसार- मतिरानी /शान्ती एवं अन्य, रात्रि 9.50 से 10.20 संकल्प संस्था बलिया द्वारा भोजपुरी के परंपरागत लोकगीतों की प्रस्तुति।
रात्रि 10.25 से 10.55, पंवरिया नृत्य- गायक डोमा मियां (मुख्य गायक), अलीजान (ढोलक वादक), साहब हुसेन, अली हुसेन, फूल मुहम्मद (सह गायक) ग्राम-मिसरौली, कटया, गोपालगंज, बिहार ।
रात्रि 11 से 11.30, हिरावल द्वारा जनगीतों की प्रस्तुति ।
रात्रि 11.35 से 12,जोगी गायकी/सरदार शाह, वार्ड न0 10, हाटा, कुशीनगर ।
रात्रि 12.05 से 12.10, कुछ मुख्य टीमों को स्मृति चिन्ह और फोटोग्राफी ।
रात्रि 12.15 से 12.40,लघु नाटक- मैं नरक से बोल रहा हूं, संकल्प, बलिया की प्रस्तुति ।
रात्रि 12..40 से 1.30, नाटक- मेहरारू की दुर्दशा, डि0सो0डे0आ0, पटना की प्रस्तुति ।
दूसरा दिन (13 मई, 2012)
प्रातः 11 से अपराह्न 2 बजे तक, वैचारिक गोष्ठी
विषय-‘वैश्वीकरण में लोक संस्कृति का उजड़ना’ मुख्य अतिथि, प्रमुख आलोचक एवं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के भूतपूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष, प्रो0 मैनेजर पांडेय सत्र की अध्यक्षता ।
सहभागिता
रवि भूषण, राजेन्द्र कुमार, दिनेश कुशवाह ( कवि, रीडर, हिन्दी विभाग, रीवा विश्वविद्यालय), प्रणय कृष्ण (महासचिव ज0स0म0, रीडर हिन्दी इलाहाबाद विश्वविद्यालय), के0के0पांडेय (जनमत) ताहिरा हसन (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, एपवा), संजय जोशी (फिल्म निर्माता), डा0 तैयब हुसैन (पटना), मनोज सिंह (सचिव, ज0स0म0, उत्तर प्रदेश), अशोक चैधरी (पत्रकार), भगवान स्वरूप कटियार (कवि) एवं सभी आमंत्रित रंगकर्मी और जनपद के साहित्यकार ।
दूसरी रात
13 मई, 2012
रात्रि 9.30 से 10,हिरावल द्वारा जनगीतों की प्रस्तुति ।
रात्रि 10.05 से 10.30, निर्गुन गायकी । गायक- कांता शर्मा (मुख्य गायक एवं एकतारा वादक) /लोरिक भगत (हारमोनिया वादक)/सुदामा साह (खंजड़ीवादक)/ बाबूराम प्रसाद, ग्राम- लाला गुरवलिया, कुशीनगर ।
रात्रि 10.35 से 11.10, फरुवाही । रामवृक्ष कुशवाहा (मुख्य गायक)/राम अवध कुशवाहा (हारमोनिया वादक)/रामध्यान प्रसाद (नगाड़ा वादक)/रमाशंकर कुशवाहा/ धर्मवीर/मुकेश/सतेन्द्र/ सनी देवल (नृत्य कलाकार ), ग्राम- माधोपुर, सेखवनिया, कुशीनगर ।
रात्रि 11.15 से 11.45, संकल्प, बलिया द्वारा भोजपुरी गीत और जनगीतों की प्रस्तुति ।
रात्रि 11.50 से 11.55, बाकुम के कवित्त की एक झलक । बाकुम- हरेन्द्र, नवका टोला, भरपटिया, कुशीनगर ।
रात्रि 12 से 12.25,लघु नाटक-हर वर्दी के नीचे एक किसान, संकल्प, बलिया की प्रस्तुति ।
रात्रि 12.30 से 12.40, स्मृति चिन्हों का वितरण / लोकरंग सांस्कृतिक समिति के सदस्यों का परिचय/ग्रुप फोटोग्राफी ।
रात्रि 12.40 से 1.30, नाटक-कामधेनु, हिरावल, पटना की प्रस्तुति ।
कार्यक्रम संचालन-दिनेश कुशवाह, विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, रीवा विश्वविद्यालय, रीवा, म0प्र0 ।
गोष्ठी संचालन- के0के0पांडेय, जन संस्कृति मंच ।