लोकरंग 2008 की प्रस्तुतियां
देवी गायन,पखावज नृत्य,हुड़का नृत्य,फरी नृत्य,भोजपुरी लोकगीत, जनवादी गीत,गज़ल, नाटक-दुनिया रोज बदलती है और आर्डर ! आर्डर ।
गोष्ठी-चहकती दुनिया : उजड़ते गांव
प्रतिभागी साहित्यकार-प्रो0 मैनेजर पांडेय, मदनमोहन ,शिवमूर्ति, अनिल सिन्हा,देवेन्द्र सिंह, हरिनारायण, प्रणय कृष्ण, सुधीर सुमन,देवेन्द्र आर्य, मनोज सिंह,अशोक चौधरी, के0के0पांडेय एवं जनपद के साहित्यकार ।
लोकरंग 2008 में आमंत्रित नाट्यमंच एवं उनकी प्रस्तुतियां
हिरावल
नाटक : दुनिया रोज़ बदलती है
हिरावल नाट्य मंच ,पटना का गठन वर्ष 1981 में जनप्रतिरोध की संस्कृति के संरक्षण,संवर्द्धन के लिए किया गया था । संस्था ने अपनी अब तक की तमाम प्रस्तुतियों के आधार पर प्रगतिशील संस्कृति को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
पिछले साल अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इसने पटना में `रजत जयंती नाट्य समारोह´ आयोजित किया। हिरावल ने अपने रंग सफ़र की शुरुआत नुक्कड़ नाटक और जनगीतों की प्रस्तुतियों से की। आगे चलकर इसने मंच नाटकों की ओर भी क़दम बढ़ाया। मुख्य रूप से पटना में सक्रिय यह नाट्य दल बिहार-झारखंड के गांव-कस्बों से लेकर देश के विभिन्न प्रांतों में अपने नाटकों का प्रदर्शन कर चुका है।
दस्ता नाट्यमंच(क्राफ्ट की नाट्य इकाई )
नाटक-`आर्डर…आर्डर´
दस्ता नाट्य मंच का गठन 1995 में बनारस में किया गया था । हिरावल की तरह दस्ता नाट्य मंच भी स्वयं को प्रगतिशील जनसंस्कृति के संवर्द्धन के लिए कार्यरत है । हर प्रकार की पतनशील संस्कृति के विरोध में दस्ता ने अपनी प्रस्तुतियों में आमजन की वेदना को स्वर देते हुए, शोषकों और प्रशासनिक पाखंडों को बेनकाब किया है ।
अलख कला समूह
नाटक-`इंकलाब जिंदाबाद´
अलख कला समूह गोरखपुर का गठन इसी वर्ष किया गया है । नव गठित नाट्य मंच की यहां पहली प्रस्तुति होने जा रही है । सामाजिक सरोकारों को ,वैचारिक प्रतिबद्धता, एवं जनपक्षधर संस्कृति के प्रति आस्था रखने वाले इस कला समूह से पूर्वांचल को बहुत उम्मीदें हैं ।